देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।। शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला. प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥ जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।। शिवाष्टकस्तोत्र https://shivchalisalyricswithmean49340.sunderwiki.com/938236/not_known_factual_statements_about_shiv_chalisa_lyrics_english